दरगाह के सज्जादानशीन शेख़ काशिफ़ ज़िया की अध्यक्षता में नातिया-मुशायरा आयोजित

इस्लाम तलवार से नहीं बल्कि बुज़ुर्गों के एखलाक व किरदार से फैला है: सुफ़ियान अख़तर औलिया-ए-किराम ने अपनी ज़िन्दगी क़ौम व मिल्लत के लिए क़ुर्बान की है:इरशाद अहमद क़मर

नवंबर 21, 2023 - 17:53
दरगाह के सज्जादानशीन शेख़ काशिफ़ ज़िया की अध्यक्षता में नातिया-मुशायरा आयोजित

द स्वार्ड ऑफ़ इंडिया

अहमद सईद

फतेहपुर, बाराबंकी । दरगाह हज़रत मखदूम शेख़ हिसामुद्दीन चिश्ती रह0 फतेहपुर के उर्स-ए-मुबारक के मौके पर दरगाह परिसर में दरगाह के सज्जादानशीन शेख़ काशिफ़ ज़िया की अध्यक्षता और अहमद सईद हर्फ़ के संचालन में नातिया मुशायरे का आयोजन किया गया।

 मुशायरे के मुख्य अतिथि पूर्व जिला पंचायत सदस्य सुफियान अख़तर एडवोकेट और विशिष्ट अतिथि नगर पंचायत फतेहपुर के चेयरमैन इरशाद अहमद कमर एवं वरिष्ठ चिकित्सक व समाजसेवी डॉ0 समर सिंह रहे।

 सर्वप्रथम कन्वीनर मुशायरा शेख़ तालिब ज़िया द्वारा सभी अतिथियों एवं समाज सेवियों डॉ0 जमालुद्दीन अलीग, पूर्व जिला पंचायत सदस्य नसीम गुड्डू, अवधेश श्रीवास्तव, एस0 आई0 मो0 तौहीद आदि सहित सभी शायरों की गुलपोशी करते हुए शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

मुख्य अतिथि सुफियान अख़तर एडवोकेट ने महफिले-मुशायरा को सम्बोधित करते हुए कहा कि नाज़िमे-मुशायरा अहमद सईद हर्फ़ ने अभी आपके सामने हज़रत मखदूम शेख़ हिसामुद्दीन चिश्ती रह0 की हयात व ख़िदमात पर रौशनी डाली है। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि अगर हम अपने बुजुर्गों की पैरवी करने लगें, तो हमें ज़िन्दगी जीने का शऊर और सलीक़ा आ जाएगा और समाज में फैली तमाम बुराइयाँ ख़त्म हो जाएंगी।

इस्लाम तलवार से नहीं बल्कि बुज़ुर्गों के एखलाक व किरदार से फैला है। मुशायरे के विशिष्ट अतिथि नगर पंचायत फतेहपुर इरशाद अहमद क़मर ने अपने विचार रखते हुए कहा कि दीने-इस्लाम मुहम्मद मुस्तफ़ा स0, सहाबा-ए-किराम, ताबईन, तबे-ताबईन, औलिया-ए-किराम, बुजुर्गाने-दीन के ज़रिए हम तक पहुंचा है।

 इन्होंने हमेशा अपनी ज़िन्दगी क़ौम व मिल्लत की भलाई के लिए क़ुर्बान की है। इनकी सीरत हम सभी के लिए मिसाल है, अगर हम इनकी सीरत के मुताबिक़ अपनी ज़िन्दगी बनालें, तो दुनिया और आख़िरत दोनों जहान में कामयाब हो जाएंगे।

क़ौमी एकता के प्रतीक, वरिष्ठ चिकित्सक एवं समाजसेवी डॉ0 समर सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि यह मेरी ख़ुशकिस्मती है कि मुझे दरगाह के इस तारीख़ी नातिया मुशायरे में शिरकत करने का मौक़ा मिला इसके लिए मैं सज्जादानशीन काशिफ ज़िया और कन्वीनर मुशायरा तालिब ज़िया का शुक्रगुजार हूँ।

 हर शख्स हिंदू और मुसलमान होने से पहले वो इन्सान है, अगर ये बात हमें समझनी है तो हमें दरगाह पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करनी होगी। सूफी, सन्तों ने हमेशा इन्सानियत और मोहब्बत का पैग़ाम दिया है और नफ़रत करने से मना किया है।

मालूम हो कि इस तारीख़ी नातिया मुशायरे में तलहा ख़ालिद झारखंडवी, मुस्तकीम अनवर गाज़ियाबादी, सईद हर्फ़, कारी परवेज़ यज़दानी, रिज़वान जमाली, गुफरान कामिल, इरफान बारहबंकवी, राही सिद्दीक़ी, तालिब आलापूरी, क़मर बारहबंकवी, हस्सान साहिर, अतीक़ फतेहपुरी और मुतिउल्लाह हुसैनी ने अपने नातिया कलाम व अशआर से श्रोताओं से खूब दाद व तहसीन हासिल की।

मुशायरे का समापन कारी परवेज़ यज़दानी की दुआ पर हुआ अन्त में कन्वीनर मुशायरा तालिब ज़िया ने सभी अतिथियों, शायरों और श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।

      इस मौके पर विशेष रूप से कारी अब्दुल वहाब, अफ्फान अख़तर, पत्रकार सय्यद ख़ालिद महमूद जावेद अख़तर, मो0 सुहैल खान, डॉ0 फहीम अंसारी, मो0 अक़ीक़ पप्पू, मो0 शनी, मो0 खलीक, मुनीर हैदर, मो0 आरिफ़, मो0 अकरम अंसारी, मो0 दिलशाद, मेराज अहमद, इब्राहीम, मो0 फारूक, रेहान खान, मो0 आमिर सिद्दीकी सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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