अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में स्वतंत्रता आंदोलन में बलिदान देने वाली वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के जयंती के अवसर पर चुर्खी हवेली परिसर में संगोष्ठी का आयोजन संपन्न

इतिहास कारों ने ऐसे स्थलों को छोड़ दिया था।इतिहास के छल किया है।वास्तविक इतिहास का आमजन मानस को पता होना चाहिए था।क्रांति कारियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया देश के लिए।उन्होंने आंदोलन को भी संगठन कर दिखाया।

नवंबर 21, 2023 - 18:55
अखिल भारतीय साहित्य परिषद के  तत्वावधान में स्वतंत्रता आंदोलन में बलिदान देने वाली वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के जयंती के अवसर पर चुर्खी हवेली परिसर में संगोष्ठी का आयोजन संपन्न

द स्वार्ड ऑफ़ इंडिया

उरई(जालौन) । स्वाधीनता आंदोलन के दौरान बलिदान हुए स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांति कारियों की स्मृति में 40 दिवसीय दिव्य.क्रांति तीर्थ कार्यक्रम का आयोजन का शुभारंभ 3 नवम्बर 2023 को नगर उरई में क्रांतिकारियों की कर्मस्थली की पावन माटी के कलशों का पूजन एवं उनके बंशजों का सम्मान के साथ किया गया।कार्यक्रम को इसी श्रृंखला में ग्राम चुर्खी में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

ग्राम चुर्खी में हवेली परिसर में जहां महारानी लक्ष्मीबाई झांसी से कालपी जाते समय अपनी मुंह बोली बहिन शोषिका के यहां एक रात्रि रुकीं थीं।इसी स्थल पर महारानी लक्ष्मीबाई के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर पुष्पांजलि एवं वीणावादिनी मां के पूजन अर्चन के साथ गोष्ठी का शुभारंभ हुआ।

संगोष्ठी की प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डा. महेश पाण्डेय बजरंग ने कहा कि क्रांति तीर्थ का मूल उद्देश्य ज्ञात एवं अज्ञात क्रांति कारियों व बलिदानियों की कर्मस्थली पर जाना।उन्हें स्मरण करना, उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व के विषय में बताना, जन जागरण करना है।

आज हम उस ऐतिहासिक स्थान पर हैं।यहां पर वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई क्रांति के समय फिरंगियों द्वारा पीछा किये जाने पर झांसी से कालपी जाते समय यहां एक रात रुकीं थीं।

उन्होंने बताया कि यहां उनकी मुंह बोली बहिन शोषिका रहतीं थीं। क्रांतिकारी यहां पर रुकने में मंत्रणा करते थे। इतिहास कारों ने ऐसे स्थलों को छोड़ दिया था।

इतिहास के छल किया है।वास्तविक इतिहास का आमजन मानस को पता होना चाहिए था।क्रांति कारियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया देश के लिए।उन्होंने आंदोलन को भी संगठन कर दिखाया।

मुख्य अतिथि वरिष्ठ शिक्षक प्रशिक्षण प्रभारी कानपुर-बुन्देलखण्ड प्रांत(भाजपा) ने अपने संबोधन में वीरांगना लक्ष्मीबाई को क्रांति की जज्वल्पयान नायिका मानते हुए कहा कि मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी की घोषणा के साथ अंग्रेजों को संघर्ष की चुनौती भी और मरने दम तक अंग्रेजी सेना उनसे संघर्ष करती रही, पर उस वीरांगना के शरीर को स्पर्श नहीं कर सकी।

उन्होंने पश्चिमी इतिहासकारों द्वारा भारतीय इतिहास के साथ किये गए छल को भी बताया।उन्होंने उपस्थित छात्र-छात्राओं से महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन संघर्ष से संबंधित अनेक प्रश्न पूंछे।सभी छात्र-छात्राओं ने सही उत्तर दिये।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित संघ के जिला महामंत्री नरेन्द्र सिंह बाबू जी ने संबोधित करते हुए कहा कि अपने क्रांति कारियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सदैव नमन करना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महारानी लक्ष्मीबाई की मुंह बोली बहिन शोषिका के बंशज अरुण भाव होल्कर(अन्ना महाराज)ने की।कार्यक्रम का संचालन राममोहन चतुर्वेदी समाज सेवी ने किया।कार्यक्रम के अन्त में प्रश्नोत्तर में विजयी छात्र-छात्राओं को पुरुस्कृत किया गया।कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सर्व श्री श्याम बिहारी प्रजापति, भीम यादव, महेन्द्र दुबे, सीताराम, अजय श्री वास आदि अनेक संभ्रांत लोगों ने भाग लिया।

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